Friday 10 December 2010

isme meri kya galti.........

स्वाभाव से अति संवेदनशील, भावुक और दूसरों के लिए दयाभाव रखने वाली मैं. आखिर क्या हो गया था मुझे. जो आज मैने किया वो मेरे स्वाभाव को जरा भी शोभा नहीं देता. हाथ में कटोरा लिए वो ८-१० साल का लड़का ठण्ड में हाल्फ पैंट  और हाल्फ शर्ट पहने ऑटो में मेरे पैर के पास आकर बैठ गया था. बहती नाक और फटे गंदे कपडे उसकी गरीबी आप बयां कर रहे थे. जब वो लड़का मेरे पैर के पास आ कर बैठा तो अचानक से मेरा मन घृणा भाव से भर गया. मैं उसके शरीर के पास से अपने पैरों को हटाने लगी थी. इस सोच के साथ के उसके गंदे कपड़ों से छू मेरे कपडे भी गंदे हो जाएंगे. तभी अचानक झटके से ऑटो रुकी और वो लड़का मेरे पैर के पास आकर गिर गया. उसके गिरते ही मैं उसके ऊपर बहुत तेज चिल्लाई सिर्फ इस सोच से कि उसके गंदे कपड़ों से छूकर मेरे कपडे गंदे हो गए. वो बेचारा तो कुछ समझ भी नहीं पाया था और नजरें उठा  कर  मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे पूछ रहा हो कि दीदी इसमें मेरी क्या गलती. इसमे मेरी क्या गलती कि मैं गरीब हूँ, इसमें मेरी क्या गलती कि मेरे कपडे गंदे हैं, इसमें मेरी क्या गलती कि पेट भरने के लिए मुझे भीख मांगनी पड़ती है. इसमे मेरी क्या गलती............. ऐसे न जाने कितने सवाल उन पनियल आँखों में तैर गए थे. उसकी मेरी तरफ उठी नज़रों का जवाब मेरे पास नहीं था. बस था तो ग्लानि  और क्षोभ का भाव, बस था तो उस बच्चे का मासूम चेहरा और अगर इस सबके अलावा कुछ था तो लोगों की मेरी तरफ उठी नजरें जो कह रही थी  कि क्या दे सकती हो इन मासूम सवालों के जवाब. इसके बाद मेरी झुकी नज़रों ने मुझे उस लडके से नज़र मिलाने लायक न छोड़ा, लेकिन, शायद मैं गलत थी क्यूंकि मेरी झुकी नजरें उस बच्चे से नहीं अपने आप से नजरें चुरा रही थी.

2 comments:

  1. kya baat hai mam, bahut dino se aap apne blog par likh nahi rahi hain. ab to maine bhi blog likhana shuroo kar diya hai. mere blog ka naam hai, journalistkrati.blogspot.com ek baar use bhi dekhiyega aur koi comment dijiega. i hope you like it.

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  2. अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....

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